झूला झूलो न मोहन,
आया है देखो सावन
लीले को छोड़ के इक बर,
बैठो ना जरा तुम इस पर
ये झूला तो..बड़ा ही न्यारा है
सुना है कि.. तुम्हे भी प्यारा है
तर्ज़ – ये बंधन तो प्यार का बंधन है
इस झूले की बातें,
तुमसे छुपी न मोहन
भगत इसे बनवाते,
जब जब आए सावन
इसमे तो भाव भरा है,
भगतों का चाव भरा है
इस झूले में है बांधी,
प्रेमी ने प्रेम की डोरी
ये झूला तो..बड़ा ही न्यारा है
सुना है कि.. तुम्हे भी प्यारा है
दूर दूर से प्रेमी,
झूला झुलाने आए
इसी बहाने बाबा,
तुम्हें रिझाने आए
भजनों की गंगा बहती,
छाई है देखो मस्ती
तेरे झूले के खातिर,
प्रभु भीड़ लगी है लंबी
ये झूला तो..बड़ा ही न्यारा है
सुना है कि.. तुम्हे भी प्यारा है
सावन का महिना,
देर करो ना मुरारी
एक एक प्रेमी बाबा,
डीके राह तुम्हारी
“कमला” कहता इस सावन,
तुम भी तो मनाओ झुलन
फिर मौज करेंगे हम सब,
झूलेंगे हम तेरे संग जब
ये झूला तो..बड़ा ही न्यारा है
सुना है कि.. तुम्हे भी प्यारा है