श्याम-हवेली में मेरे बाबा…Shyam-Haveli Me Mere Baba…

श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
तेरा इतना लाड़ लडाऐंगे,

तुम देखते रहइयो ।। टेर ।।

(तर्ज : झूठ बोले कौआ काटे )

तेरे केसर तिलक लगाएँगे,
चाँदी का छत्र चढ़ाएँगे
चुन-चुन कर कलियाँ बागों से,

सुन्दर गजरा बनवाएँगे
पहन कसूमल बागा बाबा,

खिल-खिल करके हँसियों ||1||
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तेरा छप्पन भोग बनाएँगे,
सब भगतों को बुलवाएँगे,
मेवों से थाली भरी हुई,

और नागर पान मँगाएँगे,
हुकुम हमारे लायक हो तो,

हम बच्चों से कहियो || 2 ||
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तुझे मीठे भजन सुनायँगे,
नैणों से नैण मिलाएँगे,
खुद नाचेंगे हम साँवरिया,

और साथ में तुझे नचाएँगे,
मस्ती का रंग कभी ना उतरे,

हमें उस रंग में रंगियो ||3 ||
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अगर भूल कोई हो जाए तो,
नहीं दिल से उसे लगाना है,
“परिवार श्याम” की विनती है,

साँवरिया तुझको आना है,
‘सँजू’ की इतनी सी अरजी,

हमें छोड़ के ना जाइयो || 4 ||

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