ये अँधेरा है ये तन्हाई है,
तेरी फिर-फिर के याद आई है,
दिल में शोला सा क्या दहकता है,
किसने फिर आग ये लगाईं है ।।
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अपनी तक़दीर से शिकवा ही नहीं,
पहले ऐसा कभी हुआ ही नहीं,
तेरी यादों में बेकरार है दिल,
तेरी उल्फत क्या रंग लाई है ।।
ये अँधेरा है ये तन्हाई है ……
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नहीं कोई भी गिला श्याम से है,
मुझे उल्फत तुम्हारे नाम से है,
खता ऐसी क्या हो गई मुझसे,
सुध मेरी साँवरा भुलाई है ।।
अँधेरा है ये तन्हाई है ……
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भूल जाना तुम्हे आसान नहीं,
बाई तो मेरी मुस्कान नहीं,
तेरे ना जी सकूँगा कभी,
दर्दी दिल की तुम्हे दुह्ाई है ॥।
ये अँधेरा है ये तन्हाई है ……
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अजित ते र की मान जाओ प्रभो,
‘शिव’ जले दिल को ना जलाओ प्रभो,
इस कलेजे की ज्योत बन जाओ,
नजरें दर पे तेरे बिछाई है ।।
ये अँधेरा है ये तन्हाई है …..
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