सुनलो कन्हैया अर्ज़ी हमारी,
तारो ना तारो ये है, मर्ज़ी तुम्हारी ।।
तर्ज – सागर किनारे
हमपे क्या बीती, कैसे बताऊँ,
किस दौर से गुजरे, कैसे सुनाऊँ,
तुमको पता है, हाल मुरारी ।।
सुनले कन्हैया, अर्ज़ी हमारी…
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लाज पे आंच बाबा, आने ना पाये,
जाये तो जान जाये, आन ना जाये,
सारा ज़माना, इसका शिकारी ।।
सुनले कन्हैया, अर्ज़ी हमारी…..
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लाज की भीख बाबा, झोली में दे दे,
भटक रहा हूँ जग में, शरण में ले ले,
दर पे खड़ा है, तेरा भिखारी ।।
सुनले कन्हैया, अर्ज़ी हमारी….
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जो भी कहोगे, वो ही करूंगा,
जैसे रखोगे, वैसे रहूँगा.
तुझपे भरोसा, मेरा है भारी ।।
सुनले कन्हैया, अर्ज़ी हमारी…..