तेरी नगरी में आय गयो श्याम, बाबा इब महर करो।
मेरा दुख गया दोन्यू पांव, बाबा इब महर करो।
तर्ज – बाजरे की रोटी
फागुन आबै जी ललचावै,
खादू जावां मन में आवै
तेरे दर्शन न छोड़ आयो काम, बाबा इब महर करो…
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खाटू नगरी लागै प्यारी
दर्शन ने जावे नर-नारी,
तेर टांबरा नै दे थोड़ो आराम, बाबा इब महर करो…
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नया-नया सिणगार सजावे
भक्तां की नैया पार लगावै
म्हैं बालक हां नादान, बाबा इब महर करो…
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दर्श कर॒या बिन, रहयो नहीं जावै
राजा कहवे बाबो पर लगावे
बस मांगा यो ही वरदान, बाबा इब महर करो…