कलियुग में बाबा तेरा, डंका बजेगा
शीश का दानी, घर-घर पूजेगा
तर्ज – हमे और जीने की चाहत
खूद श्याम ने तुझे, ये वर दिया हे
नाम अपना देकर, अमर किया है
मिलेगा सहारा जो, नाम जपेगा
शीश का दानी ….. .
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कन्हैया ने तेरी, शक्ति को जाना
तुनें भी उनकी, बातों को माना
दानियों में ऐसा दानी, किसको मिलेगा
शीश का दानी….. .
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भरोसा किया है, भरोसा निभाना
पुकारू मैं जब भी, चले तुम आना
तु न सुनेगा तो, कौन सुनेगा
शीश्ञ का दानी … ..
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राजा कहे सिर पर, हाथ फिरादे
मारछड़ी का, झाड़ा लगादे
रोम-रोम मेरा, झूम उठेगा
शीश का दानी…..