है गिरधर गोपाल कन्हैया,
तेरो एक सहारो है,
सिवा तुम्हारै ई दुनिया मं,
दूजो कुण हमारो है ।।
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तेरी मेरी प्रीत पुराणी,
मतना आँख चुरावै तूं,
नाव पुराणी भवजक् गहरा,
छलिया क्यूँ तरसावै तूं,
पलक उघाड़ करै मत देरी,
दाता दूर किनारो है ॥।
है गिरधर गोपाल कन्हैया……
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दयासिन्धु दीनन हितकारी,
वासुदेव बनवारी नै,
हिम्मतहारी है गिरधारी,
टेरूँ कृष्ण मुरारी नै,
पैल्यां भी तो तूं ही मेरो,
अटक्यो काज संवारयो है |।
है गिरधर गोपाल कन्हैया……
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श्याम बहादुर संकटहारी,
‘शिव’ की सुध बेगा लीजै,
या पतवार श्याम नै सौंपी,
परली पार लगा दीजै,
सामरथां सैं सीर पड़यो है,
तूं ही खेवणहारो है ।।
है गिरधर गोपाल कन्हैया……