दास तेरा मेरे श्याम बाबा,
दर पे आने के काबिल नहीं है
तुमने लाखों की बिगड़ी बनाई
तारना मेरा मुश्किल नहीं है…..
तर्ज – जब से देखा तुम्हे मुरली वाले
भव के सागर का है गहरा पानी,
नाव जीवन की है कुछ पुरानी,
तेरी हो जाय गर महरबानी ,
दूर फिर कोई मंजिल नहीं है…..
मैंने जग में तो इतना ही पाया,
कोई अपना नहीं सब पराया,
तेरे कदमों में यो सर झुकाया,
‘कोई तेरे मुकाबिल नहीं है……
बेकशों पर दया करने वाले,
मेरी किश्ती है तेरे हवाले,
कोई रस्ता नहीं है खाटू वाले,
मैंने देखा जहाँ तूं ही तूं है….
ऐसी माया ने आकर के घेरा,
नाम लेने न देती हैं तेरा,
माफ मेरी खता ना करो तुम,
ऐसा पत्थर तेरा दिल नहीं है…