खाटू का तोरण द्वार,
बैकुंठ का द्वारा है
बाबा ने स्वर्ग को ही
धरती पे उतारा है ।
(तर्ज : होठों से छू लो तुम …)
खाटू की ये गलियाँ,
किसी स्वर्ग से कम तो नहीं,
ये श्याम कुंड का जल,
अमृत से कम तो नहीं,
इस मिट्टी में कण-कण में,
प्रश्नु वास तुम्हारा है | ।१।।
मेरे मन की बगिया तो,
बनी श्याम बगीची है
मन की हर एक कली,
तेरे नाम से सींची है
इस बगिया का बाबा,
हर फूल तुम्हारा है ।।२ |।
जब भी ये जनम मिले,
तेरे प्रेमी ही कहलाएँ
होके तुमसे जुदा बाबा,
तेरे बच्चे ना जी पायें
बाबा हम सबको तू,
जान में प्यारा है ।।३ ।।