जय जय पितरजी महाराज, थारी बोलां जय-जयकार
मन स ध्यावां, मनावां, म्हारो कर दूयो बेड़ा पार |
तर्ज: लेके पहला-पहला प्यार…
नित उठ थारो देवा, ध्यान लगावां
लाड़ लड़ावां थाने हाल सुनावां
सुणज्यो म्हारी थे पुकार, ठाबर बैठा भुजा पसार |
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बेगणा सम्भालो आओ, देर ना लगावो
बांट निहारां थारी दरश दिखाओ
म्हानै थारो ही आधार, थारै बिण क़ुण खेवनहार |
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देव हो दयालु थे तो बड़ा दिलवाला
आश लगाकर बैठया बनो रखवाला
शिन न थारी है दरकार, सौपी थाने ही पतवार ।