शरण में तुम्हारी आये त्रिपुरारी – Saran Me Tumhari Aaye Tripurari

शरण में तुम्हारी आये त्रिपुरारी |
दया कर दया कर, भोले भण्डारी ।

ऊँचे पर्वत वास तुम्हारा,
माँ गौरा को लगते हैं प्यारा,
धीर गम्भीर तुम हो, लोक हितकारी

तेरी जटा में गंगा विराजे,
मस्तक पर चन्दा है साजे,
बाघम्बर धारी और डमरुधारी

भांग धतुरा तुमको हैं भाये,
तन पर रखते हो भस्मी रमाये
नीलकण्ठ नाम तेरा बोले दुनिया सारी

औघड़दानी और वरदानी,
हाथ कृपा का सिर पर रख दोस्वामी,
नैया लगाओ पार, ‘रेनु’ की दातारी

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