सावन यो रंगीलो है, ओ बाबा दरवाजो खोल
काँवरिया सब हेलो मारे, बाजन लाग्या डप और डोल
सांवन यो रंगीलो है…
तर्ज-राजस्थानी…
आईरे आई भक्तों की टोली आई
कांधे गंगाजल की काँवर लेके आई..
सावन यो रंगीलो है…(१)
बासुकी राजा देख निकल कर, भक्त घनेरे आये है
सुल्तानगंज से पैदल चलकर, द्वार तुम्हारे आये है
सब मिल जय-जय कार करे और मुँख बोले बम-बम-बम ।
काँवरिया सब हेलो मारे….(२)
तेरे भरोस धंधो छोड़यों, घर-परिवार छोड़ आयो हूँ
ईब तूं देरी करियो ना, गंगाजल मोकलो ल्यायो हूँ
टूटन लागो मन को धिरज, अब तो निभा तू अपनो कौल..
काँवरिया सब…(३)
बाबा थारी मँहर चाहिये, थाँकी शरणागत् म हाँ
दिन दुःखी निर्बल की डोरी, थारं ही हाथां में है
जैसो नाँच नचाँओ “मुरली” मुख स बोला बम-बम-बम….
काँवरिया सब हेलो मारे….
Singer – Murli Sharma