रुस्योड़ा भगतां नै, सांवरियो मनाय रह्यो,
मनवार करे कान्हो, नरसीलो ऐंठ रह्मो ।।
तर्ज – गुरुदेव दया करके
नरसी जी कै डेरै, जद पहुँच्या श्याम धणी,
पूठो फिरग्यो नरसी, रामा-श्यामा ना करी,
बतव्ठायो ना बोल्यो, मान्यो ना एक कह्यो ।।
रुस्योड़ा भगतां नै ………
________________
तिरलोकी को मालिक, यो लीला अजब करे,
डरतो सो बोल रह्यो, जिण सै भी काल डरै,
म्हानै माफ़ करो भगतां, थे स््य्थ भोत सह्मो ।।
रुस्योड़ा भगतां ने ………
________________
म्हारा सगा सम्बध्यां मं, तूं लाज गवां आयो,
लेजा या पोट तेरी, तेरो मायरियो द्यायो,
पण इतनो बतादे रे, म्हांसै क्यूँ कपट करयो ।।
रुस्योड़ा भगतां नै ………
________________
यूँ हँस कर हरि बोल्या, जैसी इच्छा थारी,
पोटव्ठिया काख दबा, उठ चाल्या गिरधारी,
नरसी बोल्या पकड़ो, आयोड़ो भाग राहयोल ।।
रुस्योड़ा भगतां नै ………